नई दिल्ली: माउंट एवरेस्ट चढ़ने की बात सोचकर ही जेहन में दुर्गम चढ़ाई और बर्फ से ढंकी चोटियां ही याद आती हैं. लेकिन दुनिया में कई ऐसे लोग हैं, जिन्होंने इन चोटियों को अपने इरादों और कदमों से नापने का फैसला किया और इन पर फतह हासिल की. ऐसी ही एक भारतीय महिला हैं संतोष यादव जिन्होंने एक नहीं, बल्कि दो बार माउंट एवरेस्ट को फतह किया है.
हरियाणा की रहने वाली संतोष ने 1992 और 1993 में लगातार मई के महीने में ही इस चोटी को फतह किया. इसके साथ ही 10 मई 1993 को वो दुनिया की ऐसी पहली महिला बन गईं जो दो बार माउंट एवरेस्ट पर चढ़ीं. इतना ही नहीं वे कांगसुंग (Kangshung) की तरफ से माउंट एवरेस्ट पर सफलतापूर्वक चढ़ने वाली विश्व की पहली महिला भी हैं.
जिस गांव में पैदा हुईं, वहां लड़कियों के पढ़ने पर भी थी पाबंदी
संतोष यादव रेवाड़ी जिले के छोटे से गांव जोनियावास में पैदा हुई थीं. ये ऐसा गांव था जहां उन दिनों लड़कियों की पढ़ाई पर भी पाबंदी थी. सामाजिक पाबंदियों के बावजूद संतोष ने न केवल पढ़ाई की बल्कि पर्वतारोहण के लिए जरूरी विशेष प्रशिक्षण भी हासिल किया और फिर जुट गईं अपने इरादों को साकार करने.
मिल चुका है पद्मश्री अवार्ड
संतोष यादव ने अपनी आगे की शिक्षा महारानी महाविद्यालय जयपुर से प्राप्त की. वह भारत-तिब्बत सीमा पुलिस में एक पुलिस अधिकारी हैं. उन्हें साल 2000 में पद्मश्री से भी सम्मानित किया जा चुका है. दो बार एवरेस्ट विजय करने के कारण इन्हें के.के. बिड़ला फाउंडेशन खेल के विशेष पुरस्कार देने की घोषणा भी की गयी. वहीं 19 अप्रैल 2001 को लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स द्वारा संतोष को सम्मानित किया गया था.
एवरेस्ट फतह करने के बाद दिए गए एक साक्षात्कार में संतोष ने कहा था कि एवरेस्ट की चढ़ाई ने उन्हें जीने का सलीका सिखाया है. गौरतलब है कि अभी तक तकरीबन 2,200 लोग ही दुनिया की इस सबसे ऊंची चोटी पर चढ़ाई कर चुके हैं. वहीं करीब 200 से अधिक पर्वतारोही इस साहसिक काम को करते हुए अपनी जान गंवा चुके हैं.
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