नई दिल्ली: राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने कश्मीर के खिलाफ दुष्प्रचार करने वाले तीन फोटोग्राफर को पुलित्जर अवॉर्ड मिलने के बाद बधाई दी है. कश्मीर से 370 हटने के बाद भारत के खिलाफ दुष्प्रचार करने वाले तीन फोटोग्राफर डार यासीन, मुख्तार खान, चन्नी आनंद को ये पुरस्कार दिया गया है. ये तीनों फोटोग्राफर विदेशी समाचार एजेंसी से जुड़े हुए हैं. 370 हटने के बाद कश्मीर की गलत तस्वीर पेश करने वाले इन तीनों फोटोग्राफर्स को पुलित्जर अवॉर्ड दिया गया है. राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा कि जम्मू-कश्मीर की दमदार तस्वीरें पेश करने वाले भारतीय-फोटोजर्नलिस्टों डार यासीन, मुख्तार खान और चन्नी आनंद को पुलित्जर पुरस्कार मिलने पर बधाई. आप लोगों ने हम सबको गौरवान्वित किया है.
बीजेपी ने राहुल गांधी पर सवाल खड़े किए हैं. बीजेपी प्रवक्ता नेता संबित पात्रा ने कहा कि तीन फोटोग्राफरों को पुलित्जर अवॉर्ड मिला. यह अवॉर्ड कहता है कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग नहीं है. भारत ने जबरन कश्मीर को अपने कब्जे में रखा है. राहुल गांधी ने तीनों तथाकथित पत्रकारों को बधाई दी है. सोनिया गांधी को स्पष्ट करना होगा कि कश्मीर के बारे में कांग्रेस क्या सोचती है?
उठते विवाद के बीच भारत के तीन फोटोग्राफरों को प्रतिष्ठित पुलित्जर पुरस्कार से सम्मानित किए जाने के बाद कोलंबिया विश्वविद्यालय के पुलित्जर बोर्ड ने दावा किया है कि उन्हें यह पुरस्कार उनके काम के चलते ही दिया गया है. साथ ही बोर्ड ने यह भी कहा है कि भारत ने कश्मीर की आजादी को रद्द किया है. यह पुरस्कार चन्नी आनंद, मुख्तार खान और डार यासीन को फीचर फोटोग्राफी में मिला है. ये तीनों ही समाचार एजेंसी एसोसिएटेड प्रेस के लिए काम करते है. इन्होंने पिछले साल घाटी में अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद की स्थितियों को अपने कैमरे में कैद कर लोगों तक पहुंचाया था. इस पुरस्कार की घोषणा सोमवार को की गई.अमेरिकी पत्रकारिता के लिए सबसे प्रतिष्ठित माना जाने वाला यह पुरस्कार विश्वविद्यालय के ग्रेजुएट स्कूल ऑफ जर्नलिज्म से जुड़ा है.
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तीनों को यह पुरस्कार देते हुए बोर्ड ने अपनी वेबसाइट पर कहा, ‘यह कश्मीर के विवादास्पद क्षेत्र में जिंदगी की तस्वीरों को उकेरने के लिए उन्हें दिया गया है…’ भारत की केंद्र सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 370 को पिछले साल रद्द किया, जिसके तहत कश्मीर को विशेषाधिकार दिए जाते थे.
इस दौरान भारतीय पत्रकारों को काम करने दिया गया, जबकि गैर-भारतीय पत्रकारों को रोका गया, लेकिन बोर्ड द्वारा कश्मीर की स्वतंत्रता को रद्द किए जाने के गलत दावे के साथ उनके इस तरह के शब्दों से पुलित्जर बोर्ड की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए जा रहे हैं.