कराची: पाकिस्तान (Pakistan) में 13 वर्षीय ईसाई लड़की (Christian girl) के अपहरण और जबरन धर्म परिवर्तन को लेकर लोगों का गुस्सा भड़क गया है. कराची (Karachi) में लोगों ने प्रदर्शन किया और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की. हालांकि, इस प्रदर्शन का कोई फायदा होगा इसकी संभावना बेहद कम है. क्योंकि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर धार्मिक अत्याचार की घटनाएं अब आम हो गई हैं.
अपहरणकर्ता से जबरन शादी कराई
बड़े पैमाने पर धर्म परिवर्तन के लिए बदनाम सिंध सूबे की राजधानी कराची में 13 अक्टूबर को ईसाई लड़की आरजू राजा (Arzoo Raja) को दिनदहाड़े रेलवे कॉलोनी स्थित उसके घर के बाहर से अगवा किया गया था. बाद में पुलिस ने पीड़ित परिवार को बताया कि आरजू ने अपनी मर्जी से इस्लाम कबूल कर लिया है और 44 साल की अपहरणकर्ता अली अजहर से शादी कर ली है.
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पुलिस की दलील स्वीकार नहीं
आरजू का परिवार पुलिस की यह दलील मामने को तैयार नहीं है. उसने लिखित शिकायत दर्ज कराई है और बच्ची की सुरक्षित वापसी के लिए अदालत में याचिका दायर की है. चौंकाने वाली बात यह है कि इससे पहले, सिंध हाईकोर्ट ने बच्ची के निकाह को सही करार देते हुए पुलिस से मुख्य आरोपी पर कोई कार्रवाई नहीं करने को कहा है. वहीं, लड़की की मां रीता मसीह का आरोप है कि कोर्ट परिसर में कुछ लोगों द्वारा उन्हें धमकी भी दी गई.
मीडिया से भी नाराजगी
बुधवार को लगभग 400 लोगों ने सेंट पैट्रिक कैथेड्रल और कराची प्रेस क्लब पर इकठ्ठा होकर प्रदर्शन किया. प्रदर्शन करने वालों में ज्यादातर ईसाई समुदाय के लोग थे. प्रदर्शनकारियों ने लड़की के परिवार को सुरक्षा देने सहित पाकिस्तान सरकार और पुलिस के खिलाफ नारेबाजी की. उन्होंने अल्पसंख्यकों के प्रति सरकार की उदासीनता को लेकर गुस्सा जताया. साथ ही उन्होंने इस मुद्दे को पर्याप्त मीडिया कवरेज न मिलने पर भी नाराजगी व्यक्त की. प्रदर्शनकारियों ने कहा कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की दुर्दशा को कोई सामने लाना नहीं चाहता.
ब्रिटिश सांसदों ने की निंदा
ब्रिटिश सांसदों के क्रॉस पार्टी समूह ने इस घटना की निंदा की है. साथ ही समूह ने पाकिस्तान सरकार से अपील भी की है कि पीड़ित पक्ष को जल्द से जल्द न्याय दिलवाया जाए. गौरतलब है कि पाकिस्तान में जबरन धर्म परिवर्तन की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं. एक अनुमान के मुताबिक, पाकिस्तान में हर साल 1000 से ज्यादा ईसाई और हिंदू महिलाओं-लड़कियों का अपहरण किया जाता है. जिसके बाद उनका जबरन धर्म परिवर्तन करवा कर किसी मुस्लिम व्यक्ति से निकाह करवा दिया जाता है. पीड़ितों में ज्यादातर की उम्र 12 साल से 25 साल के बीच में होती है.