काबुल: अफगानिस्तान (Afganistan) के जलालाबाद शहर की जेल पर इस्लामिक स्टेट के आतंकियों ने हमला कर अपने कई साथियों को छुड़ा लिया. इस दौरान सुरक्षा बलों के साथ हुए संघर्ष में 29 कैदी मारे गए और 50 से ज्यादा घायल हो गए. हमले के बाद दूसरे इलाकों से सुरक्षाबल मौके पर भेजे गए. जिन्होंने जेल को दोबारा से अपने कब्जे में लेकर आसपास के गांवों में खोज अभियान शुरू किया. इस अभियान के दौरान भागे हुए कई आतंकियों को पकड़ लिया गया. हमले की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट (islamic state) के खुरासान गुट ने ली है.
जानकारी के मुताबिक नंगरहार प्रांत की राजधानी जलालाबाद में बनी जेल में सुरक्षाकर्मी रविवार को रूटीन डयूटी कर रहे थे. तभी इस्लामिक स्टेट का एक आत्मघाती हमलावर विस्फोटक से लदी गाड़ी लेकर जेल के गेट पर पहुंचा और उसमें धमाका कर दिया. उसके धमाका करते ही इस्लामिक स्टेट के दूसरे आतंकी गोलियां चलाते हुए अंदर घुस गए. हमले के बाद जेल में बंद 15 सौ कैदियों में से कई सौ कैदी मौके का फायदा उठाकर भाग गए.
नंगरहार प्रांत के गर्वनर ने कहा कि करीब 1000 कैदी भाग गए थे. लेकिन सुरक्षा बलों ने अभियान चलाकर उनमें से कई को दोबारा से पकड़ लिया. बाकी कैदियों को पकड़ने के लिए ऑपरेशन चलाया जा रहा है. रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता फवाद अमान ने कहा कि सुरक्षाबलों ने सोमवार को जेल को अपने कब्जे में ले लिया. जेल के आसपास की इमारत से रूक रूक कर गोलीबारी चलती रही. इसी स्थान पर गवर्नर का कार्यालय भी है.
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उन्होंने बताया कि सुरक्षा बलों को जेल के अंदर तालिबान के दो कैदियों के शव मिले. शायद इस्लामिक स्टेट के आतंकियों ने उन्हें मार डाला था. इससे पूर्वी अफगानिस्तान में दोनों आतंकी संगठनों के बीच तनाव बढ़ने का संकेत नजर आ रहा है.
उधर तालिबान ने बयान जारी कर इस हमले में अपना हाथ होने से इनकार किया. तालिबान के राजनीतिक प्रवक्ता सुहेल शाहीन ने कहा कि जलालाबाद जेल हमले में उनका समूह शामिल नहीं था. उसने कहा कि हमने ईद के मद्देनजर शुक्रवार से तीन दिन के संघर्ष विराम का ऐलान किया था. हम ऐसे किसी भी हमले में शामिल नहीं थे.
सूत्रों के मुताबिक यह हमला ऐसे समय में हुआ है. जब एक दिन पहले ही अधिकारियों ने बताया था कि अफगान विशेष बलों ने जलालाबाद के निकट आईएस के एक शीर्ष आतंकी कमांडर को मार गिराया है. इस हमले से अफगानिस्तान के समक्ष आने वाली चुनौतियों का संकेत मिलता है. अमेरिका की तालिबान के साथ शांति संधि कर लेने के बाद अमेरिका और नाटो के सैनिक अफगानिस्तान से वापस जाने लगे हैं.