बाकू: अर्मेनिया (Armenia) और अजरबैजान (Azerbaijan) के बीच जारी जंग खत्म करने की सभी कोशिशें नाकाम साबित हो रही हैं. अमेरिका (America) की पहल पर किये गए संघर्ष विराम के कुछ ही घंटों बाद दोनों देश फिर आमने-सामने आ गए हैं. यह तीसरा मौका है जब, युद्ध विराम की घोषणा के बाद फिर से जंग शुरू हुई है.
एक महीने से जारी है जंग
सोमवार को अर्मेनिया और अजरबैजान ने एक-दूसरे पर उकसावे का आरोप लगाते हुए गोलीबारी की. दोनों देशों के बीच नागोर्नो-काराबाख (Nagorno-Karabakh) क्षेत्र पर कब्जे को लेकर 27 सितंबर से युद्ध चल रहा है. अब तक इस जंग में पांच हजार से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं. हालांकि, यह वो आंकड़ा है जो रूस ने जारी किया है, असल संख्या के इससे कहीं ज्यादा होने की आशंका है.
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10 अक्टूबर से अब तक तीन
10 अक्टूबर से लेकर अब तक तीन बार युद्ध विराम की घोषणा हो चुकी है, लेकिन तीनों ही बार सहमति के चंद घंटों बाद अर्मेनिया और अजरबैजान ने एक-दूसरे पर हमले शुरू कर दिए. रविवार को वॉशिंगटन में अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने अर्मेनिया और अजरबैजान के विदेश मंत्रियों से अलग-अलग मुलाकात की. इसके बाद मानवीय आधार पर संघर्ष विराम की घोषणा की गई थी.
आरोप-प्रत्यारोप
इस घोषणा के कुछ ही देर बाद अजरबैजान के रक्षा मंत्रालय ने एक बयान जारी कर आरोप लगाया कि अर्मेनियाई सेना ने उसके ठिकानों को निशाना बनाया है. इसके जवाब में अर्मेनिया की तरफ से कहा गया कि अजरबैजान ने युद्ध विराम का उल्लंघन किया है और अजेरी सेना द्वारा मिसाइल दागी गई है.
शांति चाहते हैं, लेकिन…
अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव (Ilham Aliyev) ने कहा कि हम राजनीतिक और सैन्य तरीकों से संघर्ष हल करना चाहते हैं, लेकिन इसके लिए अर्मेनियाई सेना को पहले युद्ध बंद करके विवादित क्षेत्र से पीछे हटना होगा. इससे पहले, अर्मेनियाई प्रधानमंत्री निकोलस पशिनियन (Nikol Pashinyan) ने अपने फेसबुक पेज पर लिखा था कि अर्मेनिया ने युद्धविराम का पालन करना जारी रखा है.
आपको बात दें कि पूर्व सोवियत संघ का हिस्सा रह चुके अर्मेनिया और अजरबैजान के बीच युद्ध की बड़ी वजह नागोर्नो-काराबाख (Nagorno-Karabakh) क्षेत्र है. इस क्षेत्र के पहाड़ी इलाके को अजरबैजान अपना बताता है, जबकि यहां अर्मेनिया का कब्जा है.