स्‍वीडन ने पूर्ण लॉकडाउन का किया ‘विरोध’, चुकानी पड़ रही कीमत | ‘Resistance’ to complete…


स्‍टॉकहोम : स्वीडन का दावा है कि लॉकडाउन को लेकर उसके प्रतिरोध ने काम किया है लेकिन देश का कोरोनावायरस डेटा कोविड -19 महामारी पर अंकुश लगाने की उसकी रणनीति की कमजोरियों को साफ तौर पर  उजागर करता है. स्‍वीडन बाकी यूरोपीय देशों की तरह लॉकडाउन करने वालों में शामिल नहीं हुआ. जबकि डेनमार्क, नॉर्वे और फिनलैंड जैसे अन्य नॉर्डिक देशों में स्कूल, रेस्तरां, बार और सैलून बंद कर दिए गए लेकिन स्वीडन ने इन उपायों को अपनाने से इंकार कर दिया.

इस देश पर ” हर्ड इम्‍युनिटीज” लागू करने का आरोप लगा और सख्त लॉकडाउन लागू नहीं करने के कारण इसकी आलोचना भी की गई. हर्ड इम्‍युनिटीज से मतलब है जब आबादी का एक बड़ा प्रतिशत वायरस के लिए प्रतिरक्षा बन जाता है. ऐसा या तो संक्रमण से हो या टीकाकरण के माध्यम से, इससे पूरे समूह में यह वायरस को आगे फैलने से रोकता है. 

स्वीडन के स्वास्थ्य और सामाजिक मामलों की मंत्री लीना हॉलनग्रेन ने कहा, “स्वीडन में अब मुख्य चिंताओं में से एक देखभाल घरों में रहने वाले वृद्धों की सुरक्षा को मजबूत करना है.” उन्होंने यह कहते हुए अपने यहां किए गए उपायों को उचित ठहराया कि अभी भी “स्वीडन में किए गए उपायों की प्रभावशीलता का आकलन कर किसी भी ठोस निष्कर्ष पर पहुंचना बहुत जल्दी था.”

हालांकि देश द्वारा अपनाए गए विवादास्पद दृष्टिकोण के कारण जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के आंकड़ों के अनुसार, स्वीडन में मौत का आंकड़ा अब यूरोप के कई अन्य देशों की तुलना में काफी अधिक 21 प्रति 1,00,000 लोगों तक पहुंच गया है.

इसके विपरीत डेनमार्क में प्रति 1,00,000 लोगों पर सात से अधिक मौतें दर्ज की हैं और नॉर्वे और फिनलैंड में यह दर चार से कम है. जबकि स्वीडन अभी भी अपने यहां वायरस के मामलों की जांच करने में संघर्ष कर रहा है, वहीं डेनमार्क और नॉर्वे ने तो अपने लॉकडाउन के प्रतिबंधों को कम करना शुरू कर दिया है. 




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