बीजिंग: भारत (India) की बढ़ती ताकत और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसे मिल रहे समर्थन से चीन (China) घबरा गया है. लिहाजा, अब वह पाकिस्तान (Pakistan) और नेपाल (Nepal) के साथ-साथ अफगानिस्तान (Afghanistan) को भी अपने पक्ष में करने में जुट गया है, ताकि नई दिल्ली पर दबाव बनाया जा सके.
चीन, पाकिस्तान, नेपाल और अफगानिस्तान ने सोमवार को अपनी तरह की पहली वीडियो कॉन्फ्रेंस आयोजित की. इसमें चीन के विदेश मामलों के मंत्री वांग यी, पाकिस्तान के आर्थिक मामलों के मंत्री मखदूम खुसरो बख्तियार, नेपाल के विदेशमंत्री प्रदीप कुमार ग्यावली और अफगानिस्तान के विदेश मामलों के कार्यवाहक मंत्री मोहम्मद हनीफ उमर जैसे बड़े नाम शामिल हुए.
इस सम्मेलन में भारत को आमंत्रित नहीं किया गया, क्योंकि चीन उद्देश्य भारत को अलग-थलग करना है. वह भारत के पड़ोसियों के साथ संबंध मजबूत करना चाहता है और सम्मेलन में उसने यह प्रयास भी किया. कॉन्फ्रेंस के दौरान, चीन ने अफगानिस्तान और नेपाल से कहा कि उन्हें पाकिस्तान की तरह बनना चाहिए. बीजिंग ने बेल्ट एंड रोड परियोजना (BRI) में पाकिस्तान के समर्थन का हवाला देते हुए दोनों देशों से एकजुट होने की अपील की.
चीनी विदेशमंत्री ने नेपाल और अफगानिस्तान के अपने समकक्षों से चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के निर्माण को सक्रिय रूप से बढ़ावा देने का आग्रह किया. उन्होंने भारत और अमेरिका के संबंधों का मजाक उड़ाते हुए कहा कि ‘हम चार देशों को अच्छे पड़ोसियों की तरह रहना चाहिए और कोरोना से जंग में एक-दूसरे का सहयोग करना चाहिए’.
वांग यी ने अप्रत्यक्ष तौर अमेरिका पर निशाना साधते हुए कहा कि महामारी पर राजनीति करने वालों को समय सबक सिखाएगा. इस दौरान चीनी मंत्री ने पाकिस्तान, नेपाल के साथ-साथ अफगानिस्तान को अपने जाल में फंसाने के लिए प्रलोभन भी दिए. उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस की वैक्सीन विकसित होने के बाद चीन तीनों देशों को मुहैया कराएगा और सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने में उनकी मदद करेगा.